#Filmmaker Ashok Pandit while replying to ANI journalist wrote that Namaz can be read at home and in mind – नमाज भी मन में और घर पर पढ़ सकते हैं; पत्रकार ने हनुमान चालीसा को लेकर किया ट्वीट तो फिल्ममेकर ने ऐसे दिया जवाब : Rashtra News
लाउडस्पीकर पर अजान और हनुमान चालीसा को लेकर मचे बवाल के बीच महाराष्ट्र में हंगामा हो रहा है। शिवसेना के नेताओं और सांसद नवनीत राणा के बीच जुबानी जंग चल रही है। सोशल मीडिया पर लोग इस विवाद पर अपनी-अपनी राय रख रहे हैं। इसी बीच फिल्ममेकर अशोक पंडित ने नमाज और हनुमान चालीसा पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
दरअसल वरिष्ठ पत्रकार नवीन कपूर ने ट्विटर पर लिखा कि “चालीसा मन में भी पढ़ सकते हैं और घर पर भी लेकिन…”। इसका जवाब देते हुए फिल्ममेकर अशोक पंडित ने लिखा कि “नमाज भी मन में पढ़ सकते हैं और घर पर भी लेकिन…।” आगे पढ़िए सोशल मीडिया पर लोग अपनी प्रतिक्रिया देते हुए में क्या लिख रहे हैं।
उदयवीर सिंह चंदेल नाम के यूजर ने लिखा कि ‘नमाज घर मे भी पढ़ी जा सकती है लेकिन रोड ही क्यों घेरना है?’ दीपक नाम के यूजर ने लिखा कि ‘नमाज भी मस्जिद के अन्दर, बिना लाउडप्सीकर के पढ़ा जा सकता है, लेकिन…।’ सौरभ नाम के यूजर ने लिखा कि ‘चालीसा घर में भी पढ़ सकते हैं लेकिन नमाज भी घर में ही पढ़ सकते हैं। किस कुरान में लिखा है कि नमाज के लिए भोंपू चाहिए?’
विकास सिंह नाम एक यूजर ने लिखा कि ‘ये अभिव्यक्ति की आजादी केवल सनातन धर्म की परम्पराओं पर टीका-टिप्पणी के लिए ही क्यों इस्तेमाल की जाती है। दूसरों को ज्ञान देने में डर लगता है क्या?’ राजेश शर्मा नाम के यूजर ने लिखा कि ‘पंडित जी क्या यही बात पूजा, भजन, आरती, श्रीमद् भागवत, रामायण, कीर्तन, जागरण आदि पर भी लागू होती है।’ विवेक नाम के यूजर ने लिखा कि ‘जरा यहीं बात औरों पर भी भी बोला करो, क्यो जुबां पर ताले पड़ जाते हैं, एकतरफा प्यार, प्यार नहीं चाहत होती है।’
अभिनव नाम के यूजर ने लिखा कि ‘जैसे हनुमान चालीसा घर में बैठकर या मन में पढ़ सकते हैं, उसी प्रकार से नमाज भी मस्जिद के अंदर या घरों में बैठ कर पढ़ सकते हैं, उसके लिए ना किसी माईक की आवश्यकता है और ना ही किसी सड़क पर बैठकर यातायात रोकने की आवश्यकता है।’ शशांक सिंह ननाम के यूजर ने लिखा कि ‘चालीसा मन में भी पढ़ सकते हैं और घर पर भी लेकिन लाउडस्पीकर पर पढ़ने का सुख अलग ही है।’
ऑडी नाम के यूजर ने लिखा कि ‘अभी तक हम चालीसा का पाठ घर पर ही करते थे लेकिन अब मजबूर हो गए हैं क्या करें?’ हरिओम मिश्रा नाम के यूजर ने लिखा कि ‘पता नहीं क्यों आजकल पत्रकारों को एक्टिविस्ट बनने की सनक सवार है!’
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