#नए साल में पुरानी फिल्मों से काम चला रहा बालीवुड : Rashtra News
कोरोना महामारी के चलते 2020 में हिंदी फिल्में प्रदर्शित नहीं हो पा रही थीं क्योंकि सिनेमाघर बंद थे।
कोरोना महामारी के चलते 2020 में हिंदी फिल्में प्रदर्शित नहीं हो पा रही थीं क्योंकि सिनेमाघर बंद थे। 2022 में इसके ठीक उलट स्थिति है। अब सिनेमाघर तो खुले हैं लेकिन उनमें दिखाने के लिए कोई नई हिंदी फिल्म नहीं मिल रही है। दो सप्ताह गुजर चुके हैं और एक भी नई हिंदी फिल्म का प्रदर्शन नहीं हुआ है। सिनेमाघरों में बीते साल दिसंबर में रिलीज फिल्मों-द स्पाइडर मैन, पुष्पा, 83, चंडीगढ़ करे आशिकी ही चल रही है। दिल्ली में सिनेमाघर बंद होने की घोषणा के बाद कई दूसरे राज्यों में सिनेमाघर पचास फीसद क्षमता के साथ चल रहे हैं।
दिल्ली में ओमीक्रान के बढ़ते मामलों के बाद सिनेमाघर बंद करने से मुंबई के फिल्म निमार्ताओं में असमंजस की स्थिति बरकरार है। उन्हें डर है कि दिल्ली की तर्ज पर अन्य राज्य भी अपने सिनेमाघरों बंद न कर दें। हालात के मद्देनजर कई निमार्ताओं को अपनी फिल्मों का प्रदर्शन स्थगित करना पड़ा जिससे सैकड़ों करोड़ का नुकसान हुआ है।
एक अनुमान के मुताबिक जनवरी से मार्च तक, तीन महीनों में, बालीवुड को एक हजार करोड़ की चपत लगी है। हालात अभी भी फिल्मों के प्रदर्शन के अनुकूल नहीं हैं, इसलिए निर्माता अपनी फिल्मों के प्रदर्शन की नई तारीखों की घोषणाएं करने से बच रहे हैं। माना जा रहा था कि जर्सी, आरआरआर, राधेश्याम, पृथ्वीराज, गंगूबाई काठियावाड़ी, भूल भुलैया 2, बच्चन पांडे जैसी लोकप्रिय सितारों से सजी फिल्में 2022 की शुरुआत में सिनेमा कारोबार को फिर से पटरी पर ला सकती हैं। मगर अब तो इन फिल्मों के निर्माताओं को भी पता नहीं है कि वे कब अपनी फिल्में रिलीज कर पाएंगे।
नई फिल्मों के प्रदर्शित नहीं होने का सीधा फायदा आयुष्मान खुराना की चंडीगढ़ करे आशिकी जैसी फिल्म को भी मिला है। बिलकुल वैसे ही जैसे नई फिल्में रिलीज नहीं होने का फायदा द स्पाइडर मैन, 83, हिंदी में डब तेलुगु फिल्म पुष्पा और तड़प जैसी फिल्मों को मिल रहा है। इसी कारण 10 दिसंबर को रिलीज 40 करोड़ लागत की आयुष्मान खुराना की फिल्म चंडीगढ़ करे आशिकी, जो अपनी लागत तक नहीं निकाल पा रही थी, ने 38-39 करोड़ का कारोबार कर अपना नुकसान कम कर लिया।
अगर 31 दिसंबर को शाहिद कपूर की जर्सी, सात जनवरी को जूनियर एनटीआर, रामचरन, अजय देवगन, आलिया भट्ट की आरआरआर और 14 जनवरी को प्रभास की राधेश्याम रिलीज होती, तो पुष्पा 70-80 करोड़ का कारोबार नहीं कर पाती। यही नहीं विश्वकप क्रिकेट की पृष्ठभूमि पर बनी 83 को भी बुरी तरह असफलता का सामना करना पड़ता। असमंजस की स्थिति के कारण ही भारी भरकम बजट की फिल्मों के निर्माता हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं और कोई भी अपनी फिल्म रिलीज करने के लिए आगे नहीं आ रहा है।
देश में अधिकांश सिनेमाघर शर्तों के साथ खुले हैं और फिल्में देखने दर्शक सिनेमाघरों में जा रहे हैं। द स्पाइडर मैन और पुष्पा को मिल रही कामयाबी से यह बात स्पष्ट हो गई है। यहां तक कि पुष्पा की पाइरेसी होने और इसे तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम में ओटीटी चैनल पर दिखाने के बावजूद हिंदी में यह दो करोड़ रोज का धंधा कर रही है और आज से इसका हिंदी संस्करण ओटीटी चैनलों पर दिखाया जाएगा। मगर फिर से आधे हुए धंधे के कारण नई फिल्मों के निमार्ताओं की हिम्मत जवाब दे गई है। वे कोई जोखिम उठाने के लिए तैयार नहीं हैं।
हालांकि साल के पहले दिन तेलुगु फिल्म आशा एनकाउंटर रिलीज हुई। पिछले हफ्ते राणा डग्गूबाती की 1945 और आज से नागार्जुन की बंगारराजू रिलीज हो रही है। साल के पहले दिन मलयालम की बेबी सैम और आरजे मैडोना रिलीज हुई। मगर पखवाड़ा बीतने के बावजूद इस शुक्रवार, 14 जनवरी से, भी सिनेमाघरों में कोई नई फिल्म नहीं दिखाई जा रही है।
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