कंपनियों की ओर से कहा गया कि दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं जहां कॉल ड्राप न होती हो। कोलंबिया एकमात्र ऐसा देश है जहां कॉल ड्राप पर जुर्माना लगाया जाता है। दुनिया में हर जगह 2 से 5 फीसदी कॉल ड्राप का औसत माना जाता है। भारत में यह 2 फीसदी है। जब 2 फीसद स्वीकार्य है तो हम पर ये जुर्माना क्यों लगाया जा रहा है।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कंपनियों की याचिका पर ट्राई को नोटिस जारी किया था लेकिन हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। दरअसल हाईकोर्ट ने टेलिकॉम कंपनियों की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि उन्हें काल ड्राप होने पर ग्राहकों को मुआवजा देना ही होगा। हाई कोर्ट ने कहा कि कंपनियों को अपने उपभोक्ताओं को यह मुआवजा 1जनवरी 2016 से देना होगा। ट्राई ने 16 अक्टूबर 2015 को आदेश जारी किया था कि टेलीकॉम सर्विस कंपनियां, अगर काल ड्राप होती है तो 1 रुपया उपभोक्ता को बतौर मुआवजा देंगी जो एक दिन में 3 रुपये हो सकता है। इसके खिलाफ मोबाइल कंपनियों ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कंपनियों की दलील थी कि ट्राई का ये आदेश मनमाना और गैरकानूनी है, इसे रद्द किया जाए।