कोर्ट ने इस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के भावनात्मक मामलों को जनहित याचिका का नाम लेकर लोगों को कोर्ट में नहीं आना चाहिए। यह लोगों की भावनाओं पर निर्भर करता है कि वह अपने देश को किस नाम से पुकारना चाहते हैं, जो लोग इंडिया नाम पसंद करते हैं वह देश को इंडिया नाम से पुकारें और जो लोग भारत नाम पसंद करते हैं, वह देश को भारत नाम से पुकारें।
इसके लिए अदालत और कानून किसी को निर्देशित और बाध्य नहीं कर सकती। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला जनहित का नहीं बल्कि भावनात्मक है। इसलिए अदालत इस याचिका को नहीं सुन सकता, इसे खारिज किया जाता है।
पेश मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि देश को इंडिया नाम ब्रिटिश सरकार ने दिया था। ब्रिटिश भाषा में इंडिया का अर्थ बेहद अपमानजनक है। हमारे देश का असली नाम राजा भरत के नाम पर भारत रखा गया था।
मगर वर्तमान में यह नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान खो चुका है। इस नाम से हमारे देश का गौरव और इतिहास जुड़ा है, इसलिए केंद्र सरकार को निर्देश जारी किया जाए कि वह देश को इंडिया की जगह भारत नाम से हर जगह संबोधित करें।