रायगढ़। कहते हैं जज्बा हो तो बड़े से बड़ा काम हो जाता है। ऐसा ही कुछ कि या है शहर की निचली बस्ती में रहने वाली महिलाओं ने जहां आए दिन लड़ाई झगड़ा मारपीट आम बात थी। रोज-रोज की इस परेशानी से बचने के लिए मोहल्ले की महिलाएं एकजुट होकर इस समस्या से निजात पाने की ठानी और महिलाओं को संगठित कर नाम दिया पहल और शुरू हो गई कार्रवाई। आज स्थिति यह है कि मोहल्ले में न कोई शराब के नशे में धुत दिखाई देता है और न ही आसपास में शराब की बिक्री होती है।
पहल महिला समूह का गठन जनवरी 2012 में किया गया था। आज इस महिला समूह में करीब 70 महिलाओं की भागीदारी है। इंदिरा नगर की सर्वाधिक तंग व निचली बस्ती में रहने वाली महिलाएं पहले आए दिन गाली गलौच, मारपीट, शोर शराबा व खुले आम शराब बिक्री की वजह से न सिर्फ परेशान थी बल्कि घर परिवार में भी अशांति का माहौल निर्मित रहता था। पहल की महिलाओं ने सबसे पहले शराब पीकर मोहल्ले में आतंक फैलाने पर अपना शिकंजा कसना शुरू किया।
पहल समूह की महिलाएं बताती हैं कि शुरू में जब महिलाओं ने इससे निजात पाने के लिए शुरुआत की गई तब कुछ लोगों ने धमकाता और मारपीट पर भी उतारु हुए। लेकिन महिलाओं ने हार नहीं मानी और अंत में उस युवक को जेल की हवा खिला दिया। इसके बाद महिलाओं ने मोहल्ले में अवैध तरीके से शराब बेचने वालों पर शिकंजा कसा। इसके लिए महिलाओं ने पुलिस व प्रशासन की भी मदद ली।
देखते ही देखते महिलाओं की पहल रंग लाने लगी और जिधर से महिलाएं गुजरती लोग सम्मान देने लगे। आज स्थिति यह है कि मोहल्ले व आसपास में अब ऐसा कोई भी उपद्रवी तत्व न दिखाई देता है और न ही हंगामा अशांति फैलाने की सोचता है। पहल की रेखा वैष्णव, उर्मिला लकड़ा, कोषाध्यक्ष धानबाई रत्नेश, उपाध्यक्ष संकुरी आईच ने बताया कि समूह की आय का एक मात्र स्रोत प्रति सदस्य 10 रुपए जमा होता है उसी से समूह का काम चलता है।
पारिवारिक समस्याएं भी निपटाने लगी
पहल महिला समूह कहने को तो निचली बस्ती की महिलाएं है लेकिन उनके काम ऐसे जिसे सुनकर कोई भी उनके हौसलों को सलाम किए बिना नहीं रह सकता है। महिला समूह ने न सिर्फ मोहल्लों को एक शांत व सुरक्षित मोहल्ला बनाया बल्कि महिला अत्याचार को लेकर भी लड़ाई लड़ी और कई महिलाओं को आपसी समझाइश देकर एक कि या। यहां तक की कई परिवार के आपस में मिल बैठकर परिवारिक विवाद को भी सुलझाने में कामयाबी हासिल किया है।
3 गरीब बेटियों के किए हाथ पीले
पहल महिला समूह ने न सिर्फ मोहल्ले को अराजक तत्वों से निजात दिलाया। महिलाओं पर होने वाले अत्याचार को लेकर आवाज उठाई। पहल की महिलाओं ने अब तक तीन गरीब परिवार की बेटियों के हाथ पीले कराने में भी अहम भूमिका अदा किया। आज मोहल्ले में कहीं पर किसी तरह की विवाद की स्थिति में लोग थाना पुलिस बाद में पहले पहल को सूचना देकर मामले का निराकरण करने पर विश्वास करते हैं।
जब हम महिलाएं एकजुट होकर मोहल्ले को उपद्रवियों से निजात दिलाने की ठानी तब कई तरह की परेशानियों से सामना करना पड़ा, लेकिन उससे हार नहीं माने लगातार संघर्ष करते रहे। आज हमारे समूह को लोग इसलिए याद करते हैं कि हम आपस में मिल बैठकर किसी भी समस्या का सामाधान करते हैं।
रेखा वैष्णव, अध्यक्ष, पहल
शुरू में कई तरह की दिक्कतें आईं हमने पुलिस व प्रशासन की मदद ली। देखते ही देखते हमें इसमें सफलता मिलने लगी। आज कहीं कोई लड़ाई झगड़ा पारिवारिक विवाद पर लोग हमें समाधान करने बुलाते हैं जो हम महिलाओं के लिए गर्व की बात है।
उर्मिला लकड़ा, सचिव, पहल।