#KGF Chapter 2 Kolar Gold mine was once indias biggest gold mine then why did the excavation have to be closed real story – KGF 2: कभी सोना उगलती थी कोलार की खान फिर क्यों बंद करनी पड़ी थी खुदाई? : Rashtra News
KGF 2: केजीएफ-2 बृहस्पतिवार (14 अप्रैल) को रिलीज हो गई। केजीएफ 2 (K.G.F: Chapter 2) मूल फिल्म कन्नड़ में हैं। इसके अलावा इसे तमिल, तेलुगू, मलयालम के साथ हिंदी में भी रिलीज किया है। फिल्म को जबरदस्त रिस्पॉन्स मिल रहा है। आपको बता दें कि ये फिल्म कोलार गोल्ड फीड (KGF) पर कब्जे और उसको लेकर जारी संघर्ष के इर्द गिर्द घूमती नजर आती है। ‘केजीएफ-2’ में जैसा एक्शन, थ्रिलर और रोमांच है, कोलार की खान की असल कहानी भी उससे कम दिलचस्प नहीं है।
अंग्रेज सिपाही और KGF का कनेक्शन: कोलार की खान या KGF दक्षिणी कर्नाटक के कोलार जिले में स्थित है और यह रॉबर्ट्सनपेट तहसील में आता है। जिला मुख्यालय से इसकी दूरी करीब 30 किलोमीटर है। KGF के गौरवशाली इतिहास की शुरुआत 17-18वीं शताब्दी के बीच हुई। कोलार की खान को लेकर आसपास के इलाकों में तमाम किस्से-कहानियां मशहूर थीं। ब्रिटेन के एक सैनिक माइकल फिट्ज़गेराल्ड लेवेली जब साल 1871 में भारत आए तो उन्होंने बेंगलुरु को अपना ठिकाना बनाया।
लेवेली को जब कोलार की खान का पता चला तो उनकी दिलचस्पी और गहरी हुई। उन्होंने तमाम रिसर्च-सर्वे किया और साल 1873 में मैसूर के तत्कालीन महाराजा के पास जा पहुंचे और खुदाई की अनुमति मांगी। उन्हें 20 साल के लिए खुदाई का लाइसेंस भी मिल गया और साल 1875 में पहली बार खुदाई शुरू हुई।
कोलार की खान इतना सोना उगलने लगी कि… शुरुआत के कई साल तो जरूरी संसाधन जुटाने और लोगों को खान में काम करने के लिए तैयार करने में लग गए। तमाम मशक्कत के बाद कोलार की खान से सोना निकाला जाने लगा। बीबीसी हिंदी की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 1902 आते-आते कोलार की खान से भारत का 95 प्रतिशत सोना निकलने लगा। कोलार की खान इतना सोना उगल रही थी कि साल 1905 में भारत सोने की खुदाई में दुनियाभर में छठवें स्थान पर पहुंच गया।
‘मिनी इंग्लैंड’ बन गया KGF: कोलार की खान से अकूत सोना निकलने के बाद उस इलाके की किस्मत बदल गई। तमाम अंग्रेज अफसर-इंजीनियर और रसूखदार लोग आसपास अपना घर बनाने लगे। एक वक्त तो ऐसा आया कि KGF को मिनी इंग्लैंड कहा जाने लगा। एक वक्त में KGF में करीब 30 हजार मजदूर काम करते थे।
ऐसे शुरू हुए बुरे दिन: भारत जब आजाद हुआ तो सरकार ने कोलार की खान को अपने कब्जे में ले लिया और फिर साल 1956 में इसे नेशनलाइज कर दिया गया। कोलार की खान सरकारी कंपनी भारत गोल्ड माइन्स लिमिटेड (BGML) के पास चली गई। असली दिक्कत इसके बाद शुरू हुई। बीजीएमएल ने कोलार गोल्ड फील्ड में साल 1970 में खुदाई शुरू की। 8-9 साल बीतते-बीतते स्थिति ये हो गई कि BGML के पास कर्मचारियों को देने तक का पैसा नहीं बचा। एक झटके में सैकड़ों कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
और बंद करनी पड़ी कोलार की खान: लेकिन स्थिति तब भी नहीं सुधरी। हालत बिगड़ती गई और भारत गोल्ड माइन्स लिमिटेड (BGML) ने साल 2001 में कोलार की खान में खुदाई बंद कर दी। अब वो जगह सूनसान पड़ी है। हालांकि पुलिस का पहरा भी। रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब सवा सौ सालों में खुदाई के दौरान कोलार की खान से 900 टन से अधिक सोना निकाला गया।
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