पानीपत.यह तस्वीर है एक मां के संघर्ष और भविष्य को संवारने की। पानीपत से 15 किमी. दूर उत्तर प्रदेश-हरियाणा की सीमा पर युमना किनारे बसा है 600 की आबादी वाला रहमपुर खेड़ी गांव। यहां के बच्चों को सड़क मार्ग से स्कूल जाने के लिए 24 किमी का सफर तय करना पड़ता है, जबकि नदी के रास्ते महज एक किमी। ट्यूब पर बैठकर एक मां रोजाना बच्चों को पहुंचाती है स्कूल..
– ऐसे में एक मां रोजाना ट्रक के ट्यूब पर बैठकर बच्चों को स्कूल लाती-ले जाती लाती है।
-45 साल की सरला देवी का बड़ा बेटा सूरज कक्षा 6 में और छोटा मोहित एलकेजी में है।
-सरपंच राजेश कुमार कहते हैं कि यदि यहां लकड़ी का पुल भी बन जाए तो भी राहत हो जाएगी।
-.यह गांव 1970 के आसपास बसा था।
-46 साल बाद भी यहां न तो स्कूल है, न अस्पताल। बिजली है पर सप्लाई का वक्त तय नहीं।
– ट्यूब ही इस गांव की लाइफ लाइन है।
मेरे बच्चे पानी से नहीं डरते, ये नेवी में अफसर जरूर बनेंगे: सरला
सरला देवी कहती है कि गांव में स्कूल नहीं है, इसलिए संघर्ष करना पड़ रहा है। मुझे यकीन है कि मेरे बच्चे नेवी अफसर बनेंगे क्योंकि ये पानी से नहीं डरते, इनकी पानी की ट्रेनिंग यहीं पूरी हो रही है। जान का खतरा तो रोज ही रहता है, लेकिन बच्चों को समय पर तालीम नहीं दी गई तो जिंदगी कैसे गुजर बसर होगी। यदि सरकार पुल बनवा दे तो बच्चों समेत गांव के लोगों को राहत मिल जाएगी।