नई दिल्ली: कैलिफोर्निया की रहने वालीं डायनी यडेल्सन (dianne yudelson) इन दिनों खासी चर्चा में हैं। डायनी फोटोग्राफी करती हैं। दरअसल, 1993 से 2005 के बीच इनके अलग अलग कारणों 11 मिसकैरिज हुए। अपने इस मानसिक दर्द और सफर को बयां करती एक फोटो सीरीज लॉस्ट (Lost) उन्होंने इंटरनेट पर अपनी वेबसाइट पर डाली है। इस बारे में फोटो सीरीज शेयर करने का उनका मकसद साफ है- उन महिलाओं को मजबूती प्रदान करने की कोशिश करना जो खुद इस दर्द से कभी न कभी गुजरी हैं।
हरेक तस्वीर में एक तस्वीर और संलग्न है…
वह जब भी गर्भ धारण करतीं, होने वाले बच्चे के लिए कुछ-कुछ रचती-बुनती रहती थीं। कभी स्वेटर, कभी टोपी और कभी ड्रेस। लॉस्ट सीरीज में 11 तस्वीरें हैं। हर फोटो एक मिसकैरिज को बंया करती है। एक फोटो है स्वेटर और टॉपी की, एक अन्य तस्वीर है जिसमें हाथ शीशा और कंघी रखी है। हरेक तस्वीर में एक तस्वीर और संलग्न है, यह तस्वीर उस अल्ट्रासाउंड की है जिसमें अजन्मा बच्चा यानी भ्रूण दिख रहा है। खिलौने, ऊनी जूते इन तस्वीरों में देखे जा सकते हैं।
मैं तब 34 साल की थी। पहली बार मां बनने जा रही थी। मेरे अंदर मेरा सपना, मेरी जिंदगी पल रही थी। हर दिन उसके आने के दिन गिनती रहती थी। अचानक सबकुछ खत्म हो गया। मेरा मिसकैरिज हो गया। यह बात 1993 की है। लेकिन मेरा दर्द यहीं खत्म नहीं हुआ। हर साल मेरे साथ यही होता गया। अगले 12 बरस यानी 2005 तक 11 बार मिसकैरेज हुए। इसके बाद मैं फिर कभी मां नहीं बनी। करीब 10 साल यादों को याद करने में बिता दिए। फिर 2015 में मैंने तय किया कि दुनिया में ऐसा सिर्फ मेरे साथ ही तो नहीं हुआ। कई मांओं के साथ ऐसा हुआ होगा। फर्क इतना है कि मेरे साथ 11 बार हुआ। लेकिन दर्द एक बार का हो या 11 बार का, दर्द तो दर्द ही रहता है। बस, तभी तय कर लिया कि मैं उन सभी मांओं से बात करूंगी। मैं यूं किसी को टूटने नहीं दूंगी। मैंने प्रेगनेंसी के दौरान लिए सभी के अल्ट्रासाउंड इमेज सोशल साइट्स पर शेयर कर दिए। सच कहूं तो इन तस्वीरों के जरिए दूसरी महिलाओं की मदद कर मैंने अपने दर्द को पहले से कम पाया है। जो महिलाएं इस दुख से गुजरी हैं या गुजर रही हैं, मैं उन्हें बताना चाहती हूं कि अपनी भावनाओं को दबाएं नहीं, बल्कि उसे लोगों से शेयर करें। इससे आप भी खुलकर जी पाएंगी। पहली प्रेगनेंसी के चार महीने बाद एक चेकअप के दौरान मेरी सांसें थम सी गईं जब मुझे अपने बच्चे की धड़कन सुनाई नहीं दी। ऐसा ग्यारह बार हुआ। हर मिसकैरेज मेरे लिए उतना ही मुश्किल था जितना पहला। यह फोटो सीरीज मेरा उन ग्यारह जिंदगियों के प्रति सम्मान है। लोग मुझसे पूछते हैं कि ग्यारह बार मिसकैरेज होने के बाद भी मैं इतनी सकारात्मक कैसे रह पाती हूं। मैं उनसे कहती हूं कि किसी को कभी भी दर्द के डर से अपनी खुशियों की कोशिश नहीं छोड़नी चाहिए। जिन्हें मैंने खोया वे मेरे बच्चे थे और मैं उन्हें हमेशा अपनी बातों के जरिए जिंदा रख कर खुश होती हूं।