नई दिल्ली: कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार और अमेरिका के बीच सैन्य साजो सामान के विनिमय पर हुए समझौते का गुरुवार को विरोध करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के पास भारत को सैन्य गठबंधन की ओर धकेलने का कोई अधिकार नहीं हैं। राज्यसभा में विपक्ष के उप नेता आनंद शर्मा ने संवाददाताओं से कहा, “अमेरिका भले ही भारत का रणनीतिक साझेदार है, लेकिन हम इस समझौते का कड़ा विरोध करते हैं।”
शर्मा ने कहा कि भारत का अमेरिका के साथ ही रूस, जापान, चीन तथा इंडोनेशिया के साथ भी रणनीतिक संबंध है।
उन्होंने कहा कि भारत अपने रणनीतिक साझेदारों के बीच हमेशा संतुलन बनाकर चला है और वह कभी भी किसी गुट में शामिल नहीं हुआ।
शर्मा ने यह भी कहा कि मोदी सरकार के पास भारत को सैन्य गठबंधन की ओर धकेलने का अधिकार नहीं है, जिससे इसके हित दीर्घकालिक तौर पर प्रभावित हो सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका के रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर तथा रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में घोषणा की कि दोनों देश सैन्य साजो सामान के विनिमय पर अहम समझौैते को लेकर सैद्धांतिक तौर पर सहमत हैं।
पर्रिकर ने कहा कि सैन्य साजो सामान विनिमय समझौता ज्ञापन का मसौदा तैयार होने में कुछ सप्ताह से कुछ महीनों का समय लग सकता है।
कांग्रेस नेता व पूर्व रक्षा मंत्री ए.के.एंटनी ने इस समझौते की बुधवार को आलोचना करते हुए कहा कि यह भारत की स्वतंत्र विदेश नीति व रणनीतिक स्वायत्तता को प्रभावित करेगा।
एंटनी ने कहा कि तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने समझौते का 10 वर्षो तक विरोध किया और यह भारत के लिए विनाशकारी होगा।
उन्होंने कहा, “यह विनाशकारी फैसला है। सरकार को इससे इनकार कर देना चाहिए।”