नई दिल्ली: दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल सरकार को सत्ता में आये 13 महीने हो चुके हैं जिसमे 14 अलग तरह के बिल उसने पास किए लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू ये है कि इन 14 में से कानून एक भी नहीं बन पाया यानी कानून बनाने के मामले में केजरीवाल सरकार का स्कोरकार्ड सिफ़र है।
एलजी नजीब जंग ने जब मंगलवार को दिल्ली विधानसभा को संबोधित करके बजट सत्र की शुरुआत की तो उसमें अपने भाषण में 7 ऐसे बिलों को ज़िक्र किया जो विधानसभा ने तो पास कर दिए हैं लेकिन केंद्र के अनुमोदन की प्रतीक्षा में अब तक कानून नहीं बन पाये हैं।
जिन बिलों का ज़िक्र एलजी ने किया उनमें केजरीवाल सरकार की महत्वकांक्षी जनलोकपाल बिल, प्राइवेट स्कूलों पर नकेल कसने वाला बिल, और न्यूनतम मजदूरी बिल शामिल हैं।
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि “14 बिल ऐसे हैं जिनको हमने तो पास किया लेकिन केंद्र ने नहीं किया। ये दर्द है कि दिल्ली के लोग अब तक उन फायदों से महरूम हैं जो ये बिल पास होने से उनको मिलते।”
दिलचस्प बात ये है कि केजरीवाल सरकार जिन उपराज्यपाल महोदय पर उसके काम में अड़ंगा डालने और उसके बिल लटकाने का आरोप लगाती है आज वो ही एलजी केंद्र पर बिल लटकाने की बात कर रहे हैं।
इस अजीब स्थिति के बारे में जब एलजी से सवाल किया गया है जिन बिलों के बारे में आपने कहा है, उसका आरोप तो केजरीवाल सरकार आप पर लगाती है कि आप बिल लटका रहे हैं?
तो इस पर एलजी नजीब जंग ने जवाब देते हुए कहा “वो आप इनसे पूछिये (केजरीवाल की तरफ इशारा करते हुए जो बराबर में ही खड़े हुए थे)
कुल मिलाकर बात ये है केजरीवाल सरकार बनने के बाद से आज तक कोई भी कानून नहीं बन पाया है। विधायकों सांसदों को कानून निर्माता या लॉ मेकर भी कहा जाता हैं क्योंकि कानून बनाने का काम संविधान ने इनको ही दिया है लेकिन केंद्र और राज्य या यूं कहें कि मोदी बनाम केजरीवाल की जंग में दिल्ली का ये नुकसान हो रहा है।