#व्यापमं और चारा घोटाले से लेकर साहित्य चोरी का सच-Truth of Literature theft from Vyapam and fodder scam : Rashtra News
राजीव सक्सेना
कोरोना महामारी के दौरान जब सिनेमाघर तालाबंदी में जकड़ गए, तब ओटीटी चैनल मनोरंजन जगत के लिए संजीवनी बनकर आए। दो साल के दौरान ओटीटी पर एक से बढ़कर एक फिल्म और वेबसीरीज आईं। चार वेब सीरीज/फिल्मों पर एक निगाह…
महारानी: खुलकर सामने आई है हुमा कुरैशी की प्रतिभा
भीमा भारती के काल्पनिक किरदार के पीछे.. लालू प्रसाद यादव के बिहार की राजनीति में एक नक्षत्र की तरह उभरने और तमाम जातिगत विरोध समर्थन के बनते-बिगड़ते समीकरण, पशुपालन विभाग के बहुचर्चित चारा घोटाले से जुड़े सच को एक बेहद सधे हुए कथानक, चुस्त पटकथा और स्थानीय शैली के दिलचस्प राजनितिक संवादों के साथ खूबसूरती से पेश किया गया है वेबसीरीज ‘महारानी’ में। सोनी लिव पर सुभाष कपूर की परिकल्पना को बतौर निर्देशक साकार किया फिल्मकार करण शर्मा ने बिहार की राजनितिक पृष्ठभूमि पर बनी अब तक की तमाम फिल्मों व टीवी शो से चार कदम आगे बढ़कर खासे शोध के साथ इस शृंखला ने ओटीटी प्लेटफार्म पर एक सुखद आमद दर्ज कराई है।
गैंग आफ वासेपुर से मशहूर अभिनेत्री हुमा कुरैशी का बिहारी परिवेश में किरदार के साथ घुल-मिल जाना उल्लेखनीय है। नए निर्देशक करण शर्मा ने हुमा कुरैशी में राबड़ीदेवी की निष्पक्ष छवि को सफलता के संग प्रातिबिम्बित किया है। महारानी सीरीज की सभी दस कड़ियां देखने पर हुमा कुरैशी की प्रतिभा को रेखांकित किया जाना वाजिब होगा।
भीमा भारती की भूमिका मेंसोहम शाह, मंत्री गौरीशंकर पांडे बतौर विनीत कुमार, डीजीपी सिद्धांत गौतम के रोल में कन्नन अरुणाचलम, नवीन कुमार के गेट अप में अमित सिआल और मुखिया के खास किरदार में अभिनेता आलोक चटर्जी की उपस्थिति वजनदार साबित हुई है।अपने पद का दुरुपयोग करने वाले गवर्नर की भूमिका मेँ अतुल तिवारी ने भी कमाल किया है। लेखिका विभा रानी ने भी एक छोटे लेकिन महत्त्वपूर्ण चरित्र को शिद्दत से जीकर अपने अभिनय का असर छोड़ा है।
टब्बर : परिवार के अंदरूनी द्वंद्व की कहानी
‘टब्बर’, पंजाबी शब्द है। जो परिवार के अंदरूनी द्वंद्व को पारिभाषित करता है। सोनी लिव पर इसी शीर्षक की हालिया प्रदर्शित वेब सीरीज में… एक सिख परिवार के हंसते-खाते जीवनचक्र में अचानक एक घटनाक्रम या अनहोनी से क्रमश: बिगड़ते गए समीकरणों को संजीदगी से रेखांकित किया गया है। जार फिल्म्स के बैनर पर फिल्मकार अजीत पाल सिंह ने अनचाहे हुई एक हत्या में बुरी तरह उलझे सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी और उसके छोटे से परिवार के संघर्ष को एक कसी हुई पटकथा, अभिनय, कैमरा, संपादन आदि के सम्पूर्ण ट्रीटमेंट से दिलचस्पअंजाम पर पहुंचाया है।
सबसे खास बात सुप्रिया पाठक को एक बार फिर एक चुनौती भरे किरदार में देखना है। वहीं पवन मल्होत्रा को ‘टब्बर’ सीरीज में एक संजीदा रोल में जान डालते हुए देखना सुकून दे गया। रणवीर शौरी और कंवलजीत सिंह जैसे मंझे हुए कलाकार भी अपनी अपनी भूमिका के साथ न्याय करते हैं। वेबसीरीज की भेड़चाल से अलग आठ कड़ियों की टब्बर नाम से यह सीरीज अलग अहसास देती है।
द विसल ब्लोअर: ‘व्यापमं घोटाला’ ओटीटी स्क्रीन पर
सोनी लिव ओटीटी प्लेटफार्म पर स्ट्रीम हुईं वेब सीरीज ‘द विसल ब्लोअर’ व्यापमं घोटाले पर आधारित है। हर्षद मेहता पर बनी सीरीज और कुछ ऐसी ही शृंखलाओं की तरह इसे भी भरपूर मसालों और भव्यता के साथ सच के निकट दिखाने की विफल कोशिश ही की गई है। टाइटल के अनुसार कहानी का नायक डा आनंद राय सरीखा किरदार होना था, लेकिन व्यावसायिक या राजनीतिक दबाव के कारण शायद नायक एक मेडिकल कालेज के मालिक के बेटे संकेत को बनाया गया। यानी असल कहानी से बिलकुल अलग पटकथा किसी और ही दिशा में जा रही है। यानी ठेठ फिल्मी रूपांतर।
सचिन खेडेकर, सोनाली कुलकर्णी, रवि किशन, जाकिर हुसैन जैसे कलाकारों का चयन तो भूमिकाओं के मुताबिक सही ही किया गया है लेकिन उनसे उनकी प्रतिभा के कारण उस स्तर का काम नहीं करवाया जाना विडम्बना माना जाएगा। घोटाले के असल स्थल भोपाल में कई स्थानों पर खासकर पीपुल्स मेडिकल कालेज में फिल्मांकन किया गया है। यह संस्थान इस घोटाले की असल कहानी का भी हिस्सा रहा है।
मिथ्या : साहित्य चोरी पर केंद्रित
एक वेबसीरीज..जिसकी नायिका एक महाविद्यालय में साहित्य की प्राध्यापक है। वह अपने विद्यार्थियों से नरेश सक्सेना और केदारनाथ सिंह जैसे दिग्गजों की रचनाधर्मिता की बात करती है। एक खास निबंध के मामले में प्रोफेसर को महसूस होता है कि उसकी एक छात्रा ने एक किस्म की साहित्यिक चोरी। साहित्य जगत में रचनाओं, कथ्य अथवा मूल आत्मा की चोरी के किस्से आरोप- प्रत्यारोप अक्सर सुने जाते रहे हैं लेकिन जी फाइव की वेबसीरीज मिथ्या में हिंदी के एक निबंध के लिए विद्यार्थी की तरफ से की गई किसी नकल को साहित्यिक चोरी करार देना कुछ खास हजम नहीं होता।
किसी अंग्रेजी सीरीज चीट की तर्ज पर खुद यह पूरी सीरीज ही जब कापी की गई हो तो उसकी सामग्री के बारे में भला क्या कहना। रोहन सिप्पी के निर्देशन मेंअल्थीया कौशल, पूर्वी नरेश और अन्विता दत्ता इन तीन लेखकों की कथा-पटकथा संवाद पर आधारित वेव सीरीज मिथ्या…कथ्य-तथ्य और सत्य को केंद्र में रखकर फिल्मी नतीजे पर जा पहुंचती है। हुमा कुरैशी हिंदी की प्रोफेसर की भूमिका में न्याय करती हैं। नई अभिनेत्री अवंतिका दासानी ठीक ही हैं। परमव्रत चटर्जी औसत हैं। रजित कपूर, समीर सोनी जैसे अभिनेताओं ने सीरीज को काफी संभाला है।
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