#प्रियंका गांधी बोलीं- मेरे पिता जीप चलाकर गांव-गांव जाते थे तो फिल्ममेकर को याद आई दादी की कहानी : Rashtra News
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण के समय कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को अपने पिता राजीव गांधी याद आ गए।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण के समय कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को अपने पिता राजीव गांधी याद आ गए। उन्होंने जनता को संबोधित करते हुए पिता से जुड़ी अपने बचपन की कहानी सुना डाली। जिसके बाद वो जमकर ट्रोल होने लगीं। उनकी वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है, जिसपर लोग तरह-तरह के कमेंट्स कर रहे हैं।
आईएनसी इंडिया ने उनका वीडियो ट्विटर पर शेयर किया है। जिसके बाद उनके वीडियो पर जमकर कमेंट्स आने लगे हैं। फिल्ममेकर अशोक पंडित ने उनके वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, ‘ इसे देखकर मुझे मेरी दादी याद आ गई जो बचपन में हमें कहानियां सुनाया करती थीं। आगे उन्होंने लिखा, ”एक था राजा एक थी रानी, दोनों मर गए खत्म कहानी।”
टिंकू जिया नाम के यूजर ने प्रियंका गांधी और आईएनसी इंडिया को टैग करते हुए प्रियंका की वीडियो शेयर किया। जिसके साथ उन्होंने लिखा, बावजूद उसके, सड़क बिजली और शिक्षा पर मोदीजी को काम करना पड़ा। 2007 की शिलान्यास किया हुआ काम योगी जी को कम्पलीट कराना पड़ा। गांव में 8 घंटे बिजली को 18-20 घंटे बिजली योगी जी को करना पड़ा। एन्सेफलाइटिस को योगी जी ने कंट्रोल किया। बुंदेलखंड का सूखा योगी जी ने खत्म किया। लिस्ट लम्बी है…”
पोल इंकरेक्ट नाम के यूजर ने लिखा, ”कब तक अपने पिता और दादी के नाम पर वोट मांगोगे?” सुमीत भसीन ने लिखा, ”चल हट झूठी कही की। झूट बोलने के अलावा क्या किया है तुम्हारे परिवार ने। शास्त्री जी और नरसिम्हा राउ जी ने बेहतरीन कार्य किया, पर तुम्हारे परिवार ने सिर्फ लूटा।”
वहीं मोहन उपरेती ने लिखा, ”कुछ उनसे सीखे होते आप स्वर्गीय राजीव गांधी जी से तो आज कांग्रेस की ये कंडीशन नहीं होती। आपने तो 2 साल में कार्यकर्ताओं से मिलना भी उचित नहीं समझा। अब उत्तर प्रदेश के चुनाव के बाद समीक्षा जरूरी करिएगा। किस प्रभारी ने कितना कमाया कौन सा टिकट कितने में बेचा गया।”
इस वजह से ट्रोल हुईं प्रियंका गांधी: दरअसल प्रियंका ने अपने पिता को याद करते हुए कहा था, ‘मेरे पिताजी प्रधानमंत्री थे और अमेठी के सांसद थे, मैं उनके साथ जीप में बैठकर जाती थी। खुद जीप चलाकर वह गांव-गांव जाते थे और गांव में प्रेम खूब मिलता था। गांव का गरीब से गरीब व्यक्ति भी उनको अपने घर ले जाता था, बैठाता था, खाने को देता था। लोग उन्हें राजीव भैया कहते थे, लेकिन कोई उन्हें छोड़ता नहीं था।
उनसे पूछते थे कि भैया आपने सड़क तो बना दी, लेकिन अब इसमें गड्ढे आ गए हैं। भैया आपने बिजली के खंभे तो लगवा दिया, लेकिन तार कब आएंगे? भैया हमारी जो पाठशाला है वो ठीक नहीं है। इसको ठीक करवाइए। इसमें तो अध्यापक भी नहीं आ रहे हैं।’
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