नई दिल्ली
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने तीसरी बार सोमवार को आम बजट पेश किया। इस बजट से मध्यम वर्ग को बहुत सारी उम्मीदें थीं लेकिन बजट की घोषणाओं से मध्यम वर्ग को निराशा हाथ लगी है। मध्यम वर्ग को सबसे ज्यादा उम्मीद आय कर स्लैब में बदलाव को लेकर थी लेकिन वित्त मंत्री ने आय कर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया है बल्कि सर्विस टैक्स में 0.5 फीसदी का इजाफा कर जोर का झटका दिया है। बजट में सर्विस टैक्स 14.5 फीसदी से बढ़कर 15 फीसदी कर दिया गया है। यानी सर्विस टैक्स से जुड़ी सभी सेवाएं महंगी हो जाएंगी। सर्विस टैक्स में 0.5 फीसदी का कृषि कल्याण कर लगाया गया है।
सर्विस टैक्स बढ़ने का सीधा असर आम आदमी के जन-जीवन पर होगा। सर्विस टैक्स बढ़ने से हर सेवा महंगी हो जाएगी। मसलन हवाई यात्रा, एटीएम से पैसे निकालना, रेस्तरां में खाना, फिल्म देखना, मोबाइल बिल, जिम, ब्यूटी पार्लर जाना और रेल टिकट भी महंगा होगा। महंगाई की मार बीमा पॉलिसी पर भी पड़ेगी। यही नहीं सर्विस टैक्स बढ़ने से सिगरेट, सिगार, गुटखा और पान मसाला महंगा हो जाएगा। बजट में छोटी-बड़ी सभी तरह की कारें भी महंगी कर दी गई हैं। ब्रांडेड कपड़ों को लेकर भी आपको अब ज्यादा कीमत चुकानी होगी।
बजट में अमीरों पर कर का बोझ डाला गया है। एक करोड़ से ज्यादा आय वाले लोगों पर सरचार्ज 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया गया है। डीजल कारें, ब्रैंडेड कपड़े और गहने मंहगे हो जाएंगे। तो गरीबों के लिए वित्त मंत्री ने कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू करने की घोषणा की है। गरीब बुजुर्गों को एक लाख तीस हजार का स्वास्थ्य बीमा, गरीब महिलाओं के नाम पर होगा एलपीजी कनेक्शन, गरीबों के लिए नई सुरक्षा बीमा योजना, गरीबों को रसाई गैस के लिए 200 करोड़, किसानों की आय पांच सालों में दोगुनी करना, परंपरागत खेती को लाभ की खेती बनाना, किसानों के विकास के लिए 35984 करोड़ रुपए, किसानों के लिए देश में 12 ई-पोर्टल खुलेंगे, मनरेगा के लिए 38500 करोड़ रुपए, गांवों में विद्युतिकरण के लिए 8500 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है।
कुल मिलाकर 2016-17 का बजट देखने से यही लगता है कि वित्त मंत्री के बजट में अमीर और मध्यमवर्ग की अपेक्षा गरीबों और किसानों की ज्यादा सुध ली गई है। यह बजट गरीब परिवारों और किसानों को ज्यादा समर्पित है। आगामी महीनों में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उसकी झलक भी बजट में दिखाई देती है। वित्त मंत्री ने अमीर औऱ मध्यमवर्ग की जेब पर कैंची चलाकर राजस्व जुटाने की व्यवस्था की है।